केंद्रीय कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र तय करने के लिए पदों की समीक्षा शुरू, 30 सितंबर तक मांगी फाइलें

Department of personnel training DOPT
Department of personnel training DOPT – फोटो : फाइल (सांकेतिक)
बैकलॉग की समस्या, नई भर्ती और पदोन्नति में देरी, जैसी शिकायतें दूर करने के लिए केंद्र सरकार रिटायरमेंट के नए नियम तय करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा प्रपोजल में सेवानिवृत्ति आयु दो तरीके से तय होगी। पहली, कर्मी ने अगर 33 साल की सेवा पूरी कर ली हो और दूसरा, अगर उसकी खुद की आयु 60 साल हो गई हो। इस संबंध में वित्त मंत्रालय को प्रपोजल भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष से सेवानिवृत्ति के नए नियम लागू कर दिए जाएंगे। वहीं सरकार ने सभी विभागों में पदों की समीक्षा भी शुरु कर दी है।

मांगा केंद्रीय कर्मियों का सर्विस प्रोफाइल

संगठित कॉडर और गैर-संगठित कॉडर में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सेवानिवृत्ति के नए नियम तय करने और कॉडर रिव्यू के लिए केंद्रीय कर्मियों का सर्विस प्रोफाइल मांगा है। सभी मंत्रालयों को अपने सर्विस एवं कॉडर स्टाफ का सर्विस प्रोफाइल हर हाल में 30 सितंबर तक जमा कराना होगा। इस मामले में किसी तरह की कोई देरी न हो, इसके लिए डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों को ऑफिस ‘मेमोरेंडम’ भेजा है।

वित्त मंत्रालय की मंजूरी जरूरी

बता दें कि केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों और सुरक्षा बलों में सेवानिवृत्ति आयु घटाने का प्रपोजल तैयार किया है। बहुत से अधिकारियों और कर्मियों को यह शिकायत रही है कि उन्हें समय पर पदोन्नति नहीं मिलती। दूसरी तरफ बैकलॉग की समस्या का कोई हल नहीं निकल पा रहा था। तीसरा, नई भर्तियों को लेकर भी सरकार असमंजस में है। अगर सेवानिवृत्ति के नए नियमों को लागू किया जाता है, तो ये तीनों समस्या दूर हो सकती हैं। हालांकि इसमें वित्त मंत्रालय की मंजूरी सबसे अहम स्थान रखती है।

अगर कई चरणों में सेवानिवृत्ति के नए नियम लागू होते हैं, तो भी वित्त मंत्रालय पर ज्यादा दबाव आना तय है। समय से पहले रिटायर होने वाले कर्मी की ग्रेच्युटी, छुट्टियों का पैसा और एक अप्रैल 2004 से पहले भर्ती हुए कर्मियों को उनकी पेंशन भी देनी होगी। वित्त मंत्रालय में अधिकारियों की एक टीम इस पर काम रही है।

कई पद अंग्रेजी शासन काल के

डीओपीटी के एक अधिकारी के मुताबिक बहुत सी सेवाएं ऐसी हैं, जो संगठित कॉडर के तहत आती हैं। लेकिन कुछ ऐसी सर्विस हैं, जिन्हें गैर-संगठित कॉडर का हिस्सा बना दिया गया था। इसके अलावा अन्य कई ऐसे रैंक हैं, जिनमें दशकों से कोई बदलाव नहीं हो सका है। नतीजा, अनेक अधिकारियों और कर्मियों को यह शिकायत रही है कि कामकाज की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें पदोन्नति नहीं मिलती। जैसे संगठित कॉडर वालों को तय समय पर पदोन्नति मिल जाती है। इनमें आईएएस, आईएफएस और आईपीएस समेत कई दूसरी सेवाएं शामिल हैं। अंग्रेजों के शासनकाल में जो पद बनाए गए थे, वे आज तक चल रहे हैं।

सभी को मिले पदोन्नति

सरकार की मंशा है कि कर्मियों को अब कामकाज के आधार पर पदोन्नति एवं दूसरे फायदे मिलें। रेलवे सहित अन्य विभागों में कई पद ऐसे भी हैं, जिन पर बैठे कर्मियों की न तो कामकाज रिपोर्ट बनती है और न ही उनका ड्यूटी टाइम है। एक कर्मचारी सुबह से रात तक काम पर लगा रहता है, तो दूसरा तीन चार घंटे में नौकरी पूरी कर उतना ही वेतन लेता है। वह दूसरे तरीकों से कथित तौर पर प्रमोशन भी पहले ले लेता है। सूत्र बताते हैं कि डीओपीटी ने सेवानिवृत्ति के नए नियम बनाने और कॉडर रिव्यू करने के मामले में एक कदम आगे बढ़ा दिया है।

कर्मियों के सर्विस प्रोफाइल में यह सब रहेगा

  • सर्विस का नाम, कॉडर, रैंक, कॉडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी, कॉडर का गठन एवं पिछली बार हुए कॉडर रिव्यू की रिपोर्ट, पद सोपान व्यवस्था, ग्रेड एवं पोस्टिंग, डयूटी चार्टर एवं विभिन्न ग्रेड पर काम का उत्तरादायित्व
  • सर्विस या कॉडर में आने का तरीका, जैसे एग्जाम आदि। योग्यता, पदोन्नति, भर्ती नियम और सेवा रुल्स आदि का विस्तृत ब्यौरा देना होगा
  • सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का संबंधित सेवा या कॉडर पर क्या असर हुआ है
  • पिछले पांच साल में कितनी भर्तियां की गई हैं और वरिष्ठता क्रम सूची की ताजा स्थिति क्या है
  • कितनी रैंक हैं, प्रमोशन की स्थिति, कॉडर में डेपूटेशन का रिकॉर्ड, सभी तरह के खाली पदों का ब्यौरा
  • ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट के लिए क्या किया गया है, जरुरी ट्रेनिंग कार्यक्रम कितने हुए हैं, किसने कितने रिफ्रेशर कोर्स किए हैं, सर्विस में आने के बाद योग्यता का स्तर कितना बढ़ा है
  • कितने पदों पर प्रशासनिक नियंत्रण किसका है और आइसोलेटेड कॉडर या सर्विस की जानकारी

इन मंत्रालयों को 30 सितंबर तक देना होगा सर्विस प्रोफाइल

कृषि निगम एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि शोध एवं शिक्षा, केमिकल एंड पेट्रो केमिकल, फर्टिलाइजर, फार्मास्यूटिकल, आयुष, सिविल एविएशन, कोयला, कॉमर्स, इंडस्ट्री एवं इंटरनल ट्रेड, पोस्ट, दूरसंचार, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जनआपूर्ति, कार्पोरेट अफेयर, संस्कृति, रक्षा, रक्षा उत्पादन, शोध एवं विकास, एक्स सर्विसमैन वेलफेयर, नॉर्थ ईस्ट रीजन, अर्थ साइंस, इलेक्ट्रानिक एवं इंर्फोमेशन तकनीक, पर्यावरण वन एवं जलवायु बदलाव, गृह मंत्रालय, इकोनोमिक अफेयर, व्यय, राजस्व, वित्तीय सेवाएं, स्वास्थ्य, शिक्षा, सूचना प्रसार, शहरी विकास, जल संसाधन, कानून एवं न्याय, माइंस, पंचायती राज, संसदीय मामले, रिन्यूएबल एनर्जी, पावर, प्राकृतिक गैस, रेलवे, विज्ञान एवं तकनीक, शिपिंग, ट्रांसपोर्ट एवं अन्य मंत्रालय शामिल हैं।

Related posts